भारत भूमि को एक राष्ट्रीय पर्व और त्योहारो का भूमि भी कहा जाता है। जिसमे 15 अगस्त को महान राष्ट्रीय पर्व के रूप मे मनाया जाता है। 15 अगस्त 2024 जो भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस है।
जो भारत के सभी विद्यालयों और दफ्तरो मे एक साथ भारत के हर एक स्थान पर इस पर्व को मनाया जाएगा जो हमे याद दिलाता है ।कि प्रकार अंग्रेजो ने सिर्फ व्यापार के माध्यम से भारत भूमि पर प्रवेश किया और यहा के लोगो को ऊँच-निच और जाति पाति का भावना पैदा कर आपस मे फुट डालकर उनको आपस मे लङवाते रहे और धीरे धीरे वह अपना साम्राज्य स्थापित करते गये उनका यह अत्याचार निरंतर बढता चला गया सभी लोग उनकी आतंक से तंग आ चुके थे।
तभी फिर कुछ महावीर पुरूषो ने उनके अत्याचार का विरोध किया और तब वहा से आरम्भ हुई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और उस संग्राम अनेको लोगो ने भाग लिया और वीर गति को प्राप्त हुए तब जाकर हमारा भारत एक स्वतंत्र भारतभूमि बन सका ।आज उसी स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने वाले एक वीर पुरूष की बारे मे जानने का प्रयास करेगे जिन्होने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया
नेता जी सुभाष चंद्र बोस के बारे मे जानेंगे
नेता जी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन 1897 ई. मे उडीसा के कटक मे एक परिवार मे हुआ था।उनका पढाई पुरी नगरी से आरम्भ हुआ और कुछ दिनो के बाद कलकात्ता से ग्रेजुएट उत्तीर्ण करने के बाद वह इग्लैंड चले गये वहा पर उन्होने अपनी आगे की ग्रेजुएशन पुरा किया और परिक्षा मे चौथा स्थान प्राप्त किया और कुछ दिनो के बाद भारत चले आये।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का भारत आगमन
उस समय अंग्रेजो का अत्याचार निरंतर बढता जा रहा था सभी भारतीय लोग उनके अत्याचार से तंग हो चुके थे। उसी समय नेता जी आगमन हुआ तब उन्होने वहा के हालात को देखा तो उन्होने कोलकात्ता के मेयर के पद स्वीकार किया और कुछ दिनो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप मे चुने गये परन्तु कुछ दिनो के बाद उनकी विचार मतभेद के कारण वह उस पार्टी को छोङ दिये।नेता जी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिन्द फौज की स्थापना
नेता जी को जब सभी हालात समझ आ गया कि अगर अंग्रेजो को अपने भारत से निकालना है तो केवल आन्दोलन से कुछ नही हो सकता है इसके लिए एक ऐसी संगठन का निर्माण करना होगा जिसमे सभी को लङने के लिए तैयार करना होगा इसके लिए वह जापान गये और वहा वह आजाद हिन्द फौज की स्थापना किया और एक प्रेरणा देने वाली नारा "तुम मुझे खुन दो मै तुम्हे आजादी दुंगा " उनकी वह नारा को सुनकर बहुत सारे लोग इस संगठन मे सामिल हुए।नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु
संगठन की तैयारी चल ही रही थी लोग उनके संगठन मे भाग ले रहे थे लेकिन कुछ दिनो के बाद अचानक उनकी मृत्यु का समाचार पुरे भारत मे फैलने लगी और उनकी मृत्यु सन 1945 ई. किस वजह से हुई और कैसे हुई उनकी पुरी जानकारी प्राप्त नही हो सका लोग उनकी मृत्यु से बहुत लोग दुःखी हुए लेकिन उनका वह बलिदान व्यर्थ नही गया कुछ समय बाद ही भारत स्वतंत्र हो गया उनका वह बलिदान आने वाले समय तक याद किया जाएगा। "जय हिन्द जय भारत "
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